राजिम – छत्तीसगढ़ की प्रयाग नगरी के नाम से प्रसिद्ध राजिम नगरी, महानदी, पैरी नदी और सोंढूर नदी के त्रिवेणी संगम पर गरियाबंद जिले में स्थित है। यह छत्तीसगढ़ में सामाजिक, धार्मिक, ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।

भोरमदेव मंदिर – छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर प्रदेश का एक ऐतिहासिक मंदिर है जो कबीरधाम से लगभग 16 कि.मी. की दूरी पर चौराग्राम में मैकल श्रेणी पर स्थित है। फणीनागवंशी शासक गोपाल देव द्वारा 11वीं सदी में इस प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण कराया गया था।

लक्ष्मण मंदिर प्राचीन स्मारक है जो ‘गहरे प्रेम’ का एक अनूठा उदाहरण है। यह पति के प्यार का प्रतीक है,नागर शैली का यह मंदिर रानी वासाटा देवी, राजा हर्षगुप्त की स्मृति में महाशिवगुप्त बालार्जुन के शासनकाल के दौरान 735-40 ईस्वी में बनवाया था।

गिरौदपुरी :- गिरौदपुरी सतनाम पंथ के प्रवर्तक गुरुघासीदासजी की जन्म स्थली है जो बलौदाबाजार जिले में स्थित है। छत्तीसगढ़ में सतनाम पंथियों के लिये यह एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जहाँ कुतुबमीनार से भी ऊँचे जैतखाम का निर्माण किया गया है।

जंगल सफारी नया रायपुर क्षेत्र के माण्डवा ग्राम में स्थित है जो लगभग 203 हेक्टेयर पर विस्तृत एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल सफारी है।

चित्रकोट जलप्रपात बस्तर की जीवनदायिनी नदी इंद्रावती पर बस्तर जिले में स्थित है। यह पूरे देश का सबसे चौड़ा जलप्रपात है इस कारण इसे भारत के नियाग्रा जलप्रपात के नाम से भी जाना जाता है जो स्वाभाविक ही सबसे बड़ा आकर्षण है।

ढोलकल गणेश छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में है यह दंतेवाड़ा से 18 किमी दूर, फरसपाल गाँव के पास बैलाडिला पहाड़ी में लगभग 3000 की ऊँचाई पर स्थित है

दंतेश्वरी मंदिर धार्मिक विश्वास एवं श्रद्धा की प्रतीक दंतेश्वरी देवी का मंदिर, शंकिनी एवं डंकिनी नदी के संगम बिन्दु पर दंतेवाड़ा जिले में स्थित है।

कुनकुरी जशपुर जिले में स्थित ईसाईयों का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। जहां पर स्थित चर्च को एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च होने का गौरव प्राप्त है। प्रति वर्ष क्रिसमस के समय यहां पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।