हरित क्रांति किसे कहते हैं? जानिए विश्व में हरित क्रांति के जनक कौन है?

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हरित क्रांति एक धार्मिक, सामाजिक, और पर्यावरणीय आन्दोलन है, जिसका मुख्य उद्देश्य धरती को सुरक्षित रखना है और सुस्त पर्यावरण से निपटने के लिए उत्साहित करना है। इस आन्दोलन के समर्थक लोग पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीवन संरक्षण, बागवानी, सामुदायिक उत्पादन और स्वदेशी उत्पादों का प्रचार-प्रसार जैसे मुद्दों पर जोर देते हैं।

इसका उद्देश्य पृथ्वी के संतुलित विकास को सुनिश्चित करना है और लोगों को स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करने और स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहित करना है। हरित क्रांति उन लोगों के लिए एक साथ खड़ने की कला है जो पर्यावरण के संरक्षण में अपना योगदान देना चाहते हैं और सुस्त पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना चाहते हैं।

हरित क्रांति क्या है?

हरित क्रांति एक धार्मिक, सामाजिक, और पर्यावरणीय आन्दोलन है, जिसका मुख्य उद्देश्य धरती को सुरक्षित रखना है और सुस्त पर्यावरण से निपटने के लिए उत्साहित करना है। इस आन्दोलन के समर्थक लोग पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीवन संरक्षण, बागवानी, सामुदायिक उत्पादन और स्वदेशी उत्पादों का प्रचार-प्रसार जैसे मुद्दों पर जोर देते हैं।

इसका उद्देश्य पृथ्वी के संतुलित विकास को सुनिश्चित करना है और लोगों को स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करने और स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहित करना है। हरित क्रांति उन लोगों के लिए एक साथ खड़ने की कला है जो पर्यावरण के संरक्षण में अपना योगदान देना चाहते हैं और सुस्त पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना चाहते हैं।

विश्व में हरित क्रांति के जनक

हरित क्रांति शब्द का सबसे पहले उपयोग अमेरिकन वैज्ञानिक विलियम गॉड ने किया था हरित क्रांति का प्रयोग विकास शील देशो में धान, गेहू को उन्नत किस्मो में उगने के लिए लाया गया थ। नार्मन बोरलॉग ने नार्मल गेहू को हाइब्रिड गेहू तब्दील किया था इस वजह से उसे कृषि के क्षेत्र में नोबेल पुरुस्कार दिया थ।

भारत के हरित क्रांति के जनक के रूप में एम एस स्वामीनाथन (M.S Swaminathan) को माना जाता है। उन्होंने स्वतंत्रता के बाद वन्यजीवन के संरक्षण और पर्यावरणीय मुद्दों पर ध्यान दिया और अपने समय में एक हरित क्रांति की शुरुआत की।

उन्होंने वन्यजीवन संरक्षण, वन्यजीवन और पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों की शुरुआत की। उनके प्रयासों का परिणाम स्वच्छ और हरा-भरा पर्यावरण को बचाने और बढ़ावा देने में आया और वह आज भी हमारे देश के पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान के रूप में जाना जाता है।

भारत में हरित क्रांति की शुरुआत कहां से हुई?

भारत में हरितक्रांति की शुरुवात 1960 के दशक में पंजाब राज्य से किया था उस समय वह पर बहुत सारी योजनाए लाये गयी जो कारगर साबित हुआ वहा पारम्परिक खेती करने के तरीका को बदला और आधुनिक ज़माने का यन्त्र को कृषि में लाया

भारत में हरित क्रांति की शुरुआत जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्व के दौरान वन्यजीवन संरक्षण और पर्यावरण संबंधी पहलों से हुई। वे वन्यजीवन के संरक्षण और पर्यावरणीय मुद्दों को लेकर जागरूकता पैदा करने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू करते थे।

उनके प्रयासों का परिणाम स्वच्छ और हरा-भरा पर्यावरण को बचाने और बढ़ावा देने में आया और वह भारत के हरित क्रांति के माने जाते हैं। इसके अलावा, भारत सरकार ने स्वतंत्रता के बाद वन्यजीवन संरक्षण और पर्यावरण से संबंधित अनेक अन्य पहलों की शुरुआत की है, जिससे हरित क्रांति की प्रक्रिया को नए दिशानिर्देश और समर्थन मिलता रहा है।

हरित क्रांति के लाभ

हरित क्रांति के लाभ हमारे और हमारे पर्यावरण के लिए अनमोल हैं। इस आन्दोलन के चलते हमने कई प्रकार के सकारात्मक परिवर्तन देखे हैं जो हमारे समृद्ध भविष्य की ओर एक बड़ा कदम हैं।

1.पर्यावरण संरक्षण: हरित क्रांति के परिणामस्वरूप हमने पर्यावरण संरक्षण में बड़ी सफलता हासिल की है। वन्यजीवन को संरक्षित करने के लिए हमने विभिन्न नई नीतियां और कार्यक्रम शुरू किए हैं जो हमारे प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा कर रहे हैं।

2.वन्यजीवन संरक्षण: हरित क्रांति ने वन्यजीवन संरक्षण में जागरूकता बढ़ाई है और इसे संरक्षण के लिए लोगों को सहायता प्रदान की गई है। वन्यजीवन की संरक्षा के लिए हमने नई नई योजनाएं और पहलें शुरू की हैं जो इसे बचाने में सकारात्मक योगदान कर रही हैं।

3.जल संरक्षण: हरित क्रांति ने जल संरक्षण को बढ़ावा दिया है। नदियों के सफाई और जल संरचना पर ध्यान देने के लिए कई पहल की गई हैं जिससे हमारे जल संसाधनों की रक्षा कर रहे हैं।

4.स्वच्छता अभियान: हरित क्रांति ने स्वच्छता अभियान को प्रोत्साहित किया है। स्वच्छता के मामले में जनता को संबोधित करके उन्हें स्वच्छता के महत्व के प्रति जागरूक किया जा रहा है।

5.आर्थिक विकास: हरित क्रांति के तहत वन्यजीवन संरक्षण और पर्यावरण से संबंधित कई योजनाएं हैं जो आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर रही हैं। यह खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा कर रही हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही हैं।

इन सभी लाभों से साथ, हरित क्रांति ने हमें एक स्वस्थ और समृद्ध पर्यावरण में रहने का मार्ग प्रदान किया है। यह आन्दोलन हमारे और आने वाले पीढ़ियों के लिए एक बेहद मूल्यवान उपहार है जो हमें सुस्त पर्यावरण से निपटने और स्वस्थ भविष्य की ओर एक कदम आगे बढ़ाने में सहायता कर रहा है।

हरित क्रांति के नुकसान

हरित क्रांति के नुकसान भी हो सकते हैं जो कुछ निम्नलिखित हैं:

1. आर्थिक परेशानियाँ: हरित क्रांति के परिणामस्वरूप, किसानों को प्राकृतिक खतरों और उनसे होने वाली नुकसान के लिए तैयार रहने के लिए अधिक खर्च करना पड़ सकता है। इसके अलावा, नई तकनीकों और प्रयोगशालाओं की जरूरत से भी खर्च बढ़ सकता है जो छोटे किसानों के लिए विशेष रूप से बड़ी चुनौती हो सकती है।

2.पर्यावरणीय प्रभाव: कुछ हरित क्रांति के प्रोजेक्ट्स या पहल के परिणामस्वरूप पर्यावरण पर अनुपयुक्त प्रभाव पड़ सकता है, जैसे जलवायु परिवर्तन, वन्यजीवन के खतरे या जल शोषण।

3.जल संयंत्रन का असर: कुछ हरित क्रांति प्रोजेक्ट्स नदियों के अविराम जल संयंत्रन का असर भी कर सकते हैं, जो उच्चतम स्तरों पर बाढ़ या बिगड़ते हुए जल स्तर का पैदा कर सकते हैं।

4.सामाजिक आंतरिकता: हरित क्रांति के कुछ पहलों के परिणामस्वरूप स्थानीय समुदायों में आंतरिकता बढ़ सकती है, जैसे वन्यजीवन संरक्षकों और स्थानीय लोगों के बीच में विवाद उत्पन्न हो सकता है।

5. कृषि विकास पर प्रभाव: हरित क्रांति के कुछ प्रोजेक्ट्स किसानों के लिए विकास के पैमाने पर उपयुक्त नहीं हो सकते हैं और उन्हें पारंपरिक तरीकों का छोड़ना पड़ सकता है।

इन नुकसानों का सामना करने के लिए, हमें सबल नीतियों, संरचनाओं और योजनाओं का उपयोग करके हरित क्रांति के लाभों को बढ़ावा देने और नुकसानों को कम करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।

हरित क्रांति के प्रभाव

भारत में हरित क्रांति के प्रभाव ने विभिन्न क्षेत्रों में गहरा परिवर्तन किया है। इस आन्दोलन के चलते देश ने पर्यावरण संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग, और स्वच्छता के मामले में कई प्रोत्साहनीय पहल की है।

1. पर्यावरण संरक्षण: हरित क्रांति के चलते वन्यजीवन संरक्षण को महत्वपूर्णता मिली है। वन्यजीवन को संरक्षित करने के लिए राष्ट्रीय पारिस्थितिकी अधिकारी, वन्यजीवन संरक्षक, और जलवायु परिवर्तन के लिए कई नई योजनाएं शुरू की गई हैं।

2. जल संरक्षण: जल के महत्व को जान कर बेवजह बहने वाले नदियों पर हरित क्रांति के तहत जल संरक्षण और जलाधार संबंधी योजनाएं बनाने की प्रोत्साहित की जा रही हैं। नदियों के सफाई का काम और जल संरचना पर ध्यान देने के लिए कई पहल की गई हैं।

3. वन्यजीवन के संरक्षण: इस क्रांति में लोगो के बीच जीवो के महत्व को बढ़ावा दिया और काम जनसँख्या प्रजाति वाले जिव जंतु लुप्त होने बचने आंदोलन भी किया ह। हरित क्रांति ने वन्यजीवन के संरक्षण के लिए अधिक जागरूकता पैदा की है। वन्यजीवन के संरक्षण में जनता को शामिल किया जा रहा है और उन्हें संरक्षण के लिए सहायता मिल रही है।

4. स्वच्छता अभियान: पहले लोग स्वच्छता को ध्यान नहीं देता था लेकिन हरित क्रांतिकारियों ने स्वच्छता अभियान को जोरो सोरो से फ़ैलाने के बढ़ावा दिया है। जिससे स्वच्छता के मामले में जनता को संबोधित करके उन्हें स्वच्छता के महत्व के प्रति जागरूक किया जा रहा है।और भारत देश एक स्वच्छ देश बन।

5. आर्थिक विकास: हरित क्रांति के पहले किशान लोग भूख से मर रहे थे लेकिन हरित क्रांति के तहत वन्यजीवन संरक्षण और पर्यावरण से संबंधित कई योजनाएं हैं जो आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करती हैं। यह खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करती हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करती हैं। जो गॉंव के किसान के प्रमुख व्यसाय खेती करना हो गय।

इन सभी प्रभावों के साथ, हरित क्रांति ने भारत में पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया है। इसे जारी रखना और विभिन्न क्षेत्रों में इसे बढ़ावा देना हमारे देश के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य है।

निष्कर्ष (coclutsion):

हरित क्रांति का संदेश अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों के साथ सहयोगी बनने के लिए प्रोत्साहित करता है। हमें आपसी समरसता से धरती के संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए ताकि हम भविष्य में भी समृद्ध और स्वस्थ पर्यावरण में रह सकें। हमारी संस्कृति और धार्मिक मूल्यों के साथ मिलकर हमें पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान ढूंढने की जिम्मेदारी है। हरित क्रांति को अपना कर हम संपूर्ण मानवता के हित में सामर्थ्यपूर्वक योगदान कर सकते हैं और एक प्रकृति स्नेही विश्व के निर्माण में सहायता कर सकते हैं।

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