लम्बवत एवं समान्तर अक्षों का प्रमेय क्या है अनुप्रयोग लिखिए

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लम्बवत एवं समान्तर अक्षों का प्रमेय क्या है
लंबवत अक्ष प्रमेय लिखिए तथा सिद्ध कीजिए
लंबवत अक्ष प्रमेय लिखिए तथा सिद्ध कीजिए
समांतर अक्ष प्रमेय लिखिए तथा सिद्ध कीजिए
लंबवत अक्ष की प्रमेय
जड़त्व आघूर्ण संबंधी प्रमेय लिखिए
वरनौली के प्रमेय को लिखें एंव साबित करें।
1. state and prove theorems of perpendicular parallel axes.
Perpendicular axis theorem
आयलर समीकरण

लंबवत एवं समान्तर अक्षों का प्रमेय (प्रिंसिपल) भौतिकी में विभिन्न तत्वों के बीच संबंध को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण नियम है। इन दोनों प्रमेयों के बारे में निम्नलिखित विवरण है:

1. लम्बवत अक्ष प्रमेय:

लम्बवत अक्ष प्रमेय कहता है कि जब दो वस्तुएं एक दूसरे के साथ टकराती हैं और उनमें से कम से कम एक वस्तु लंबवत अक्ष पर गति करती है, तो उस समय तक दोनों वस्तुओं के बीच एक प्रकार का त्वरण उत्पन्न होता है।

उदाहरण:
एक गेंद को दीवार पर फेंका जाता है। गेंद दीवार से टकराती है और उस समय तक गेंद की गति लंबवत अक्ष की ओर होती है। इस समय तक गेंद के और दीवार के बीच एक त्वरण उत्पन्न होता है।

2. समान्तर अक्ष प्रमेय:

समान्तर अक्ष प्रमेय कहता है कि जब दो वस्तुएं एक दूसरे के साथ टकराती हैं और उनमें से कम से कम एक वस्तु समान्तर अक्ष पर गति करती है, तो उस समय तक दोनों वस्तुओं के बीच एक प्रकार का त्वरण नहीं होता है।

उदाहरण:
एक गेंद को समान्तर अक्ष से टकराया जाता है। गेंद समान्तर अक्ष पर गति करती है, और उस समय तक गेंद के और समान्तर अक्ष के बीच त्वरण नहीं होता है।

यह लम्बवत और समान्तर अक्ष प्रमेय भौतिकी में गति, आक्रमण, घुसपैठ, आदि विषयों के अध्ययन में महत्वपूर्ण होते हैं। ये नियम हमें वस्तुओं के बीच के संबंधों को समझने में मदद करते हैं।

लंबवत और समान्तर अक्ष प्रमेय का निर्माण (derivation) निम्नलिखित रूप में है:

लंबवत और समान्तर अक्ष प्रमेय का निर्माण (derivation) निम्नलिखित रूप में है:

लंबवत अक्ष प्रमेय का निर्माण:
हम एक वस्तु को समझने के लिए उसकी गति को v (वेग) और समय को t (समय) लेते हैं। वस्तु की गति का पहला और अंतिम समय को t=0 और t=t रूप में लेते हैं।

पहली अवस्था (t=0): इस समय पर वस्तु की गति v=0 होती है, क्योंकि वस्तु शांत होती है।

दूसरी अवस्था (t=t): इस समय पर वस्तु की गति v होती है, क्योंकि वस्तु t समय तक गतिशील होती है।

अब हमें वस्तु की गति का अवधारण जानने के लिए न्यूटन के दूसरे नियम का उपयोग करना होगा। न्यूटन का दूसरा नियम यह बताता है कि बल (F) बदले बिना वस्तु की गति पर असर करता है। इसे लिखते हैं:

F = m × a

जहां F वस्तु पर लगने वाला बल, m वस्तु का द्रव्यमान (मास) और a वस्तु का त्वरण है।

लंबवत अक्ष प्रमेय के लिए, हम वस्तु के लंबवत अक्ष की दिशा को x-अक्ष मानते हैं। इसका मतलब है कि वस्तु की गति को x-दिशा में गिना जाएगा। इसके अनुसार, वस्तु के x-दिशा का त्वरण a_x होगा। इसे लिखते हैं:

a_x = dv/dt

यहां v वस्तु की गति है और t समय है।

अब हम वस्तु की गति को न्यूटन के दूसरे नियम से जोड़ सकते हैं:

F = m × a_x
= m × dv/dt

इसे हम dv/dt के दोनों ओर भेद करते हैं:

F × dt = m × dv

इसके बाद हम दोनों ओर किसी भी समय के लिए योग लेते हैं:

∫ F × dt = m × ∫ dv

इसमें ∫ (इंटीग्रल) वर्गीकरण (integration) है, जो यह दिखाता है कि एक दिया गया फोर्स (F) किसी भी समय तक वस्तु को कितना तरंगमय (वेग में परिवर्तन) करता है। इसके बाद, हम उसको दो अवस्थाओं तक लाने के लिए लिमिट लगाते हैं (जहां t=0 से t=t तक होगा)। इससे निम्नलिखित मिलता है:

∫ F × dt = m × (v – 0)

इसे और आसानी से लिखा जा सकता है:

∫ F × dt = m × v

इसमें दोनों ओर किसी भी समय तक लिमिट लगाने से:

∫ F × dt = m × v – m × 0

इससे:

∫ F × dt = m × v

यह देखा गया कि फोर्स (F) दोनों अवस्थाओं के बीच योग है, जो वस्तु की गति (वेग) को वजन (मास)

के अनुपात में बदलता है। इसलिए, लंबवत अक्ष प्रमेय है:

फोर्स (F) = वजन (मास, m) × वेग (v)

इसी प्रकार समान्तर अक्ष प्रमेय का निर्माण भी किया जा सकता है, लेकिन वहां वस्तु के गति का वर्गीकरण किया जाता है। अब आप समझ सकते हैं कि वस्तु के गति को वजन के अनुपात में बदलने पर लंबवत अक्ष प्रमेय बनता है, जबकि वस्तु के गति को वर्ग के अनुपात में बदलने पर समान्तर अक्ष प्रमेय बनता है।

लंबवत अक्ष प्रमेय लिखिए तथा सिद्ध कीजिए
समांतर अक्ष प्रमेय लिखिए तथा सिद्ध कीजिए
लंबवत अक्ष की प्रमेय
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आयलर समीकरण

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