प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में अंतर || Pratyavarti Dhara aur Dist Dhara Mein antar

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प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में अंतर
प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा क्या है
15. दिष्ट धारा तथा प्रत्यावर्ती धारा क्या है?
दिष्ट धारा की तुलना में प्रत्यावर्ती धारा के लाभ तथा दोष बताइए।
दिष्ट धारा के उदाहरण
प्रत्यावर्ती धारा AC एवं दिष्ट धारा DC में अंतर स्पष्ट करें
दिष्ट धारा के दो स्रोत लिखिए।
विद्युत

प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा दोनों ही विद्युत धाराओं के प्रकार हैं और इनमें कुछ मुख्य अंतर होते हैं:

1. प्रकार:प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा 
– प्रत्यावर्ती धारा: प्रत्यावर्ती धारा वह विद्युत धारा होती है जिसमें विद्युत धारा की दिशा समय-समय पर बदलती रहती है। इसमें विद्युत धारा की चुंबकीय बल रेखाएं समय-समय पर बदलती रहती हैं और ये रेखाएं विद्युत धारा की दिशा को प्रदर्शित करती हैं।
– दिष्ट धारा: दिष्ट धारा वह विद्युत धारा होती है जिसमें विद्युत धारा की दिशा स्थिर होती है। इसमें विद्युत धारा की चुंबकीय बल रेखाएं स्थिर रहती हैं और ये रेखाएं विद्युत धारा की स्थिर दिशा को प्रदर्शित करती हैं।

2. आवेग विधि:प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा 
– प्रत्यावर्ती धारा: प्रत्यावर्ती धारा में विद्युती चार्ज बदलते समय चुंबकीय बल रेखाएं बदलती रहती हैं और विद्युत धारा की दिशा भी बदलती रहती है। यह धारा विद्युती चार्ज के बीच चुंबकीय फ़िल्ड के प्रभाव को दर्शाती है।
– दिष्ट धारा: दिष्ट धारा में विद्युती चार्ज और चुंबकीय बल रेखाएं स्थिर रहते हैं और विद्युत धारा की दिशा भी स्थिर रहती है। यह धारा विद्युत चार्ज के बीच इलेक्ट्रिक फ़िल्ड के प्रभाव को दर्शाती है।

3. प्रभाव: प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा 
– प्रत्यावर्ती धारा: प्रत्यावर्ती धारा में विद्युती चार्ज और चुंबकीय बल रेखाएं समय-समय पर बदलती रहती हैं और ये रेखाएं विद्युती चार्ज के बीच चुंबकीय फ़िल्ड के प्रभाव को दर्शाती हैं।
– दिष्ट धारा: दिष्ट धारा में विद्युती चार्ज और चुंबकीय बल रेखाएं स्थिर रहती हैं और ये रेखाएं विद्युत चार्ज के बीच इलेक्ट्रिक फ़िल्ड के प्रभाव को द

र्शाती हैं।

यह थे प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा के मुख्य अंतर। इन धाराओं का अध्ययन विद्युती विज्ञान में विशेष महत्व रखता है और यह हमें विद्युती धाराओं के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करता है।

प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में कौन बदलता है?

प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में विद्युत चार्ज बदलता है। जब विद्युत चार्ज को समय-समय पर बदल जाता है, तो चुंबकीय बल रेखाएं भी इसके साथ समय-समय पर बदलती रहती हैं, जिससे प्रत्यावर्ती धारा की दिशा बदलती रहती है। इसलिए, विद्युत चार्ज के बदलने से प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा के मध्य अंतर पैदा होता है।

दिष्ट धारा की तुलना में प्रत्यावर्ती धारा के लाभ तथा दोष बताइए।

प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा के तुलना में निम्नलिखित लाभ और दोष होते हैं:

प्रत्यावर्ती धारा के लाभ:
1. विद्युती सञ्चय: प्रत्यावर्ती धारा के माध्यम से विद्युती चार्ज सञ्चय हो सकता है। यह विद्युती सञ्चय का समय-समय पर प्रवाह को संभालने में मदद करता है।

2. अधिक सुरक्षित: प्रत्यावर्ती धारा की दिशा समय-समय पर बदलती रहती है, जिससे विद्युती चार्ज का बदलता प्रभाव होता है। इससे इलेक्ट्रिक सामानों को विद्युत धारा के संपर्क से अधिक सुरक्षित रखा जा सकता है।

3. उच्च तेजी: प्रत्यावर्ती धारा का प्रभाव विद्युत चार्ज पर तुलना में अधिक उच्च तेजी के साथ होता है। इसके कारण विद्युती उपकरण और मोटर आदि को तुरंत शुरू करने में उच्च तेजी होती है।

प्रत्यावर्ती धारा के दोष:
1. विद्युत धारा के गुजरने की सीमा: प्रत्यावर्ती धारा की एक बड़ी समस्या यह है कि यह विद्युत धारा के गुजरने की सीमा (क्षमता) से बाहर नहीं जा सकती है। इसका मतलब यह है कि जब विद्युती उपकरणों में अधिक विद्युती चार्ज पधारता है, तो वे चार्ज नहीं कर सकते हैं और इससे उपकरणों का बिगड़ जाने का खतरा होता है।

2. उच्च खर्च: प्रत्यावर्ती धारा उच्च विद्युत चार्ज पर नहीं गुजरती है और विद्युत चार्ज को संभालने के लिए उच्च खर्च आवश्यक होता है। इसलिए, प्रत्यावर्ती धारा के संचय और उपयोग में अधिक खर्च होता है।

इस प्रकार, प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा के तुलना में उनके लाभ और दोष हैं। इन्हें समझकर हम विद्युती धाराओं का समयबद्ध उपयोग कर सकते हैं और उनके लाभों का उचित उपयोग कर सकते हैं।

Kisi vidyut paripath mein laghupathan kab hota hai

लघुपथन विद्युत परिपथ में जब किसी प्रत्यावर्ती या दिष्ट धारा का विद्युती चार्ज बदलता है तथा चुंबकीय बल रेखाएं भी बदलती रहती हैं, तो उस समय लघुपथन होता है। यह विद्युत परिपथ के माध्यम से विद्युती चार्ज का संचय या उसके उपयोग में एकांतर होने का समय होता है। इसके दौरान, विद्युती चार्ज का विद्युत परिपथ के समान रूप से बदलना या उसमें संग्रहीत होना होता है। लघुपथन के दौरान, प्रत्यावर्ती या दिष्ट धारा के विद्युती चार्ज को विद्युत परिपथ में विभिन्न दिशाओं में बदला जा सकता है, जिससे प्रत्यावर्ती या दिष्ट धारा की चुंबकीय बल रेखाएं भी बदलती रहती हैं। इसलिए, इस समय लघुपथन होता है। यह लघुपथन विद्युत परिपथ में विद्युत चार्ज के उपयोग या संचय की विशेषता को दर्शाता है।

दिष्ट धारा जनित्र

दिष्ट धारा जनित्र एक प्रकार का विद्युत उपकरण है जो विद्युत धारा को स्थिर रखने में मदद करता है। यह उपकरण विद्युती चार्ज को एक स्थिर धारा में रखता है जिससे विद्युती चार्ज के बीच विद्युत फील्ड का प्रभाव नहीं होता है। दिष्ट धारा जनित्र विभिन्न उद्दीपकों, विद्युत सामानों, और विद्युत उपकरणों में उपयोग किया जाता है ताकि वे स्थानिक विद्युत चार्ज को स्थिरता से उपयोग कर सकें। इसका उपयोग विभिन्न विद्युत उपकरणों के निर्माण में, विद्युती चार्ज को संभालने में, और संचय उपकरणों में किया जाता है।

प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा क्या है
15. दिष्ट धारा तथा प्रत्यावर्ती धारा क्या है?
दिष्ट धारा की तुलना में प्रत्यावर्ती धारा के लाभ तथा दोष बताइए।
दिष्ट धारा के उदाहरण
प्रत्यावर्ती धारा AC एवं दिष्ट धारा DC में अंतर स्पष्ट करें
दिष्ट धारा के दो स्रोत लिखिए।
विद्युत

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