विद्युत धारा की परिभाषा

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विद्युत धारा का सूत्र
विद्युत धारा के मात्रक की परिभाषा
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विद्युत धारा का SI मात्रक क्या है
विद्युत धारा की चाल कितनी होती है
विद्युत धारा कक्षा 10
विद्युत धारा का मात्रक
विद्युत धारा का विमीय सूत्र

 

विद्युत धारा की परिभाषा

विद्युत धारा की परिभाषा है कि वह विद्युत चालकता के माध्यम से प्रवाहित होने वाली विद्युतीय चुंबकीय शक्ति का प्रवाह है। यह विद्युतीय चालकों के एक निश्चित मार्ग में होती है, जिसमें विद्युत चालक माध्यम या विद्युत वायर के माध्यम से विद्युतीय चालकों को आगे बढ़ाया जाता है। विद्युत धारा विद्युतीय उपकरणों को चलाने, विद्युत संचार करने, बिजली उत्पादन, और अन्य विद्युतीय कार्यों में भी उपयोगी होती है। यह धारा धारा के विक्षेपण और विद्युत चालक माध्यम के व्यास के साथ जुड़ी होती है, जो इसे विशिष्ट ढंग से प्रतिनिधित करता है।

विद्युत धारा का सूत्र

I = Q / t

विद्युत धारा का सूत्र है:

विद्युत धारा (I) = विद्युतचालकता (G) × विद्युत चालक माध्यम के व्यास (A) × धारा के विक्षेपण का वक्र (dv/dx)

यह सूत्र विद्युतीय धारा को प्रतिनिधित करने में उपयोगी होता है। इसमें I विद्युत धारा को दर्शाता है, G विद्युतचालकता को दर्शाता है, A विद्युत चालक माध्यम के व्यास को दर्शाता है और dv/dx धारा के विक्षेपण का वक्र को दर्शाता है। यह सूत्र विद्युत धारा के विभिन्न पहलुओं को समझने और विद्युतीय चालकता को मापने में मदद करता है।

विद्युत धारा का मात्रक क्या है ?

विद्युत धारा का मात्रक एम्पीयर (A) है। एम्पीयर एक विद्युतीय मापक है जो विद्युत धारा को निर्दिष्ट करता है। यह विद्युतीय चालकता की मात्रकिक इकाई है, जो बिजली के प्रवाह को मापने में उपयोगी होती है। एक एम्पीयर का मतलब है कि एक सेकंड में एक कूलम्ब के प्रवाह का मान होता है। विद्युत उपकरणों, विद्युतीय जालों, और विद्युतीय संयंत्रों की धारा के विद्युतीय चालकता को मापने के लिए एम्पीयर का प्रयोग किया जाता है।

विद्युत धारा का S.I. मात्रक –

एंपियर = कूलाम / सेकंड

विद्युत धारा के प्रकार

विद्युत धारा के दो प्रकार होते हैं:

1. विकर्षण विद्युत धारा (Direct Current – DC):
विकर्षण विद्युत धारा वह धारा होती है जिसमें विद्युतीय चालक माध्यम में धारा एकमुखी रूप से प्रवाहित होती है। इसमें विद्युत चालक के धारा की दिशा स्थायी रहती है और विद्युत धारा का मान समय के साथ बदलता नहीं होता है। बैटरी, धारा विचारक (rectifier), और सौर ऊर्जा पैनल जैसे स्रोतों से मिलने वाली विद्युत धारा विकर्षण विद्युत धारा की उदाहरण है।

2. विकर्षित विद्युत धारा (Alternating Current – AC):
विकर्षित विद्युत धारा वह धारा होती है जिसमें विद्युतीय चालक माध्यम में धारा द्विमुखी रूप से प्रवाहित होती है। इसमें विद्युत चालक के धारा की दिशा समय-समय पर बदलती रहती है, जिससे धारा के मान का विकर्षण (उच्च-निम्न) होता है। विद्युत सब्स्टेशनों से बिजली के उपयोगीकरण बिंदुओं तक पहुंचने वाली विद्युत धारा विकर्षित विद्युत धारा की उदाहरण है। AC विद्युत धारा को उच्च वोल्टेज लाइनों में ट्रांसमिट किया जा सकता है जो दूरीय क्षेत्रों को भी सबसे आसानी से पहुंचाता है।

विद्युत आवेश (Electric Charges)

विद्युत आवेश (Electric Charges) विद्युतीय विज्ञान में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह विद्युत के मौलिक गुणांक हैं, जो विद्युतीकरण के कारण होते हैं। आवेश धारक पदार्थों को विद्युत के क्षेत्र में प्रभावित करते हैं और इनमें आवेशित के गुणांक के आधार पर उन्हें दो विभाजित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है।

1. सकारात्मक आवेश (Positive Charges): जब किसी पदार्थ के विद्युत आवेशों की संख्या अधिक होती है तो उसे सकारात्मक आवेश कहते हैं। इसे साधारणतया प्रोटॉन के द्वारा प्रतिनिधित किया जाता है।

2. नकारात्मक आवेश (Negative Charges): जब किसी पदार्थ के विद्युत आवेशों की संख्या कम होती है तो उसे नकारात्मक आवेश कहते हैं। इसे साधारणतया इलेक्ट्रॉन के द्वारा प्रतिनिधित किया जाता है।

ये विद्युत आवेश पदार्थों के बीच आकर्षण और प्रतिकर्षण के कारण विद्युत चुंबकीय क्षेत्र में एक दूसरे के प्रति प्रभावी होते हैं। आवेश के गुणांकों के संबंध से विद्युत आवेशों के बीच किसी भी विद्युतीय प्रक्रिया की विधि और उनके अनुसंधान में इनका महत्वपूर्ण योगदान होता है।

सुचालक तथा कुचालक (Conductors and Insulators)-

सुचालक और कुचालक विद्युतीय विज्ञान में दो महत्वपूर्ण श्रेणियां हैं, जो पदार्थों के विद्युत आवेशों के व्यवहार को वर्णित करती हैं।

1. सुचालक (Conductors):
सुचालक पदार्थ वे पदार्थ होते हैं जिनमें विद्युतीय आवेश आसानी से घुस जाते हैं और उन्हें यातायात करते हुए नकारात्मक और सकारात्मक आवेशों को आपस में मिलाने में कोई प्रतिबंध नहीं होता है। सुचालक पदार्थों में विद्युतीय चालक माध्यम के आवेशों की संख्या अधिक होती है। इलेक्ट्रॉन का अधिकांश सुचालक पदार्थ बनाता है, जैसे कि धातुओं, जैसे कि सोना, चांदी, कॉपर, और तांबा।

2. कुचालक (Insulators):
कुचालक पदार्थ वे पदार्थ होते हैं जिनमें विद्युतीय आवेश का आपसी मिलान सम्भव नहीं होता है और विद्युतीय आवेशों को प्रवेश नहीं करने देते हैं। इन पदार्थों में विद्युत चालक माध्यम के आवेशों की संख्या बहुत कम होती है या नहीं होती। अधिकांश गैर-मेटलिक तत्व, जैसे कि प्लास्टिक, ग्लास, रबर, और सीमेंट, कुचालक पदार्थों के उदाहरण हैं।

ये सुचालक और कुचालक पदार्थ विद्युतीय विज्ञान में विद्युतीय उपकरणों, तारों, और संचार प्रणालियों के निर्माण में उपयोगी होते हैं। सुचालक धातुओं के तार विद्युत उपकरणों में यातायात करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं जबकि कुचालक पदार्थ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इलेक्ट्रॉनिक आवेशों को रोकने और संरक्षित रखने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।

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