Material science kya hai? और जानिए materials की mechanical properties क्या-क्या है?

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दोस्तों आज कि इस आर्टिकल में material science kya hai? और मटेरियल की mechanical properties क्या-क्या है? इन सभी टॉपिक को मैं आपको इस आर्टिकल में बताऊंगा तो दोस्तों यदि आप जानना चाहते हैं? Material science kya hai? तो आप इस आर्टिकल को शुरू से लेकर अंत तक पढ़ते रहिए।

(धातु विज्ञान)material science kya hai?

वह विज्ञान जिसमें धातुओं को प्रकृति से प्राप्त अयस्कों से शुद्ध रूप में प्राप्त किया जाता है तथा इस प्रकार प्राप्त धातुओं को मनुष्य जाति के दैनिक जीवन की आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए वान्छित आकृतियों में परिवर्तित किया जाता है. धातु विज्ञान कहलाता है।

पदार्थों का सामान्य वर्गीकरण

पदार्थ (Material)

1. धात्विक पदार्थ (Metallic materials) (लोहा, ताँबा, पीतल, जस्ता इस्पात आदि )

a. लौह धातुएँ (Ferrous metals ) ( लोहा, इस्पात तथा उसकी मिश्र धातुएँ )

b. अलौह धातुएँ (Non ferrous metals) ( ताँबा, जस्ता, एल्यूमीनियम, राँगा, काँसा, पीतल आदि)

2. अधात्विक पदार्थ (Non-metallic materials ) ( रबर, प्लास्टिक, चमड़ा काँच काष्ठ आदि )

3. सिरेमिक्स (Ceramics)- सिरेमिक्स के अन्तर्गत मैग्नीशियम ऑक्साइड (magnesium oxide), कैडमियम सल्फाइड (cadmium sulphide), जिंक ऑक्साइड सिलीकन कार्बाइड टाइटेनियम बोराइड, सिलिका सोडा चूना . काँच कंक्रीट सीमेन्ट तथा फेराइट आदि आते हैं।

4. कार्बनिक बहुलक (Organic Polymers) – इसके अन्तर्गत प्लास्टिक (plastic), रेशे (fibers) तथा प्राकृतिक एवं कृत्रिम रबर आदि आते हैं।

5. संयुक्त पदार्थ (Composite Materials) संयुक्त पदार्थों के अन्तर्गत इस्पात प्रतिबल कंक्रीट परिक्षेपण कठोरित एलॉय विनाइल लेपित इस्पात तथा कार्बन प्रबलित रबर आदि आते हैं।

Mechanical properties of materials

1. सामर्थ्य ( Strength)

किसी पदार्थ पर बाह्य बल लगाए जाएँ तथा पदार्थ बिना असफल हुए यदि बाह्य बलों को सहन करने की क्षमता रखता है, तो इस गण को पदार्थ की सामर्थ्य कहते हैं ।

2. प्रत्यास्थता (Elasticity)

यह पदार्थ का वह गुण है जिसके कारण पदार्थ के आकार तथा आकृति में बाहय बलों के प्रभाव से स्थायी परिवर्तन नहीं हो पाता है। अतः बाह्य बलों के हटाने पर पदार्थ अपनी पूर्व अवस्था में आ जाते हैं । इस गुण के आधार पर ही मशीन तथा औजारों के लिए उपयुक्त पदार्थों का चयन किया जाता है । इस्पात रबर में प्रत्यास्थता का गुण पाया जाता है ।

3. प्लास्टिकता (Plasticity)

यदि बाह्य बल को प्रत्यास्थित सीमा से अधिक लगाया जाता है तो बल के हटाने पर पदार्थ की आकृति में स्थायी परिवर्तन हो जाता है और पदार्थ अपनी प्रारम्भिक स्थिति को प्राप्त नहीं करता है । पदार्थ का तापमान बढ़ाने पर भी प्लास्टिकता में वृद्धि होती है ।

उदाहरणार्थ रबर सीसा (Lead) तथा क्ले (Clay ) आदि प्लास्टिक पदार्थ होते हैं ।

4. तन्यता ( Ductility)

इस गुण के कारण धातु को पतले तारों में खींचा जा सकता है। किसी पदार्थ की तन्यता टूटने से पूर्व प्रतिशत लम्बाई में वृद्धि (Percentage elongation ) या दैर्ध्य वृद्धि द्वारा प्रकट की जाती है। जितनी तन्यता अधिक होती है उतनी ही लम्बाई में प्रतिशत वृद्धि अधिक होती है। सोना सबसे अधिक तन्य होता है । इससे कम तन्यता वाली धातुएँ चाँदी, एल्यूमीनियम तथा कॉपर है ।

5. भंगुरता ( Brittleness)

यह पदार्थ का वह गुण है जिसके कारण चोट मारने पर या गिरने पर पदार्थ टूट जाता है । काँच, ढलवा लोहा भंगुर पदार्थ हैं।

6. कुट्टयता या आद्यातवद्धता (Malleability)

इस गुण के कारण पदार्थ को बिना टूटे ( Without rupture ) हथोड़ों की चोट या रोलिंग द्वारा पतली शीटों में परिवर्तित किया जा सकता है । तापक्रम के बढ़ने पर कुट्टयता में वृद्धि होती है । सोना सबसे अधिक आधातवद्धक माना जाता है इसके अलावा चाँदी, कॉपर, एल्युमीनियम, टिन आदि ।

7. कड़ापन ( Toughness )

यह पदार्थ की सामर्थ्यता का गुण है जिसके कारण पदार्थ टूटने (Rupture) का विरोध करता है। इस गुण के कारण पदार्थ को बिना विभंजन (Fracture ) किए मरोड़ा या मोड़ा जा सकता है । इस गुण के कारण पदार्थ में झटके ( Shocks) सहन करने की सामर्थ्य उत्पन्न हो जाती है।

8. कठोरता ( Hardness )

कठोरता पदार्थ का वह गुण है जिसके कारण पदार्थ घिसावट रेती चलाना खरोंच (Scratching), चिन्न ( Indentation ) तथा मशीनन का विरोध करता है । इस गुण के कारण धातु अपने पृष्ठ में अन्य पदार्थों के प्रवेश को रोकने में सामर्थता प्रकट करती है। गर्म करने पर पदार्थ की कठोरता कम हो सकती है। हीरा (Diamond) सबसे अधिक कठोर पदार्थ माना जाता है तथा कठोरतम धातुओं के मशीनन हेतु डायमण्ड टूल्स का प्रयोग किया जाता है ।

9. भान्त ( Fatigue)

उतार चढ़ाव वाले तथा विपरीत बार बार – प्रतिबलों ( Fluctuating & reversing Stresses) के उत्पन्न होने के कारण धातु खण्डों के अचानक टूट जाने का भ्रम बना रहता है। तभी इस प्रकार प्रतिबलों से धातु खण्ड टूट जाते हैं । यद्यपि उत्पन्न हुए ये प्रतिबल भार की प्रत्यास्थता सीमा के अन्दर ही उत्पन्न होते हैं । उच्च गति पर घूमने वाले इस्पात के शाफ्टों तथा संरचनाओं के उन दृढ़ सदस्यों ( Rigid members ) में यह दोष होता है।

10. विसर्पण (Creep)

लगातार भार तथा प्रतिबलों के कारण पदार्थों में मन्द प्लास्टिक विरुपण होता है जिससे धातु में धीमी गति से लगातार लम्बाई में वृद्धि होती है तथा अन्त में विच्छेदन की स्थिति पहुँच जाती है । धात में इस गुण को विसर्पण कहते हैं । यह गुण तापक्रम से अधिक प्रभावित होता है। उच्च तापक्रम पर यह क्रिया अधिक होती है। इस प्रकार लोहा निकिल, ताँबा तथा उनकी मिश्र धातुएँ उच्च तापक्रम पर विसर्पण प्रदर्शित करती है। जस्ता, टिन, शीशा तथा उनकी मिश्र धातुएँ सामान्य तापक्रम पर ही विसर्पण का गुण प्रदर्शित करती है।


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